सूर्य नमस्कार | Surya Namaskar

 सूर्य नमस्कार: योग में सूर्य नमस्कार का महत्व


योग एक प्राचीन प्रणाली है जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करना है। इस प्राणायाम और आसनों का मिश्रण के माध्यम से शरीर और मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है। योग के कई रूपों में से एक रूप सूर्य नमस्कार है, जिसे हिन्दी भाषा में 'सूर्य नमस्कार' कहा जाता है। यह एक पूर्ण व्यायाम का रूप है जो शरीर को फिट रखने के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्रदान करता है। इस लेख में, हम सूर्य नमस्कार की विधि, लाभ और सावधानियों पर विचार करेंगे।


सूर्य नमस्कार की विधि:


सूर्य नमस्कार का मतलब होता है सूर्य की पूजा करना। यह आठ आसनों का एक संयोजन है जो आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है। इसे सुबह के समय करना अधिक लाभदायक होता है, जब आपका मन और शरीर आराम से जग रहा होता है।





यहां सूर्य नमस्कार की विधि है:


    1. प्रणामासन (Pranamasana):

  • अपने पैरों को एक साथ जोड़ें।
  • अपनी आँखें बंद करें और सांस लें।
  • दिल की ओर ध्यान केंद्रित करें और शांति के साथ सांस छोड़ें।

    

    2. हस्तोत्तानासन (Hastottanasana):

  •    - अपने हाथों को उठाएं और पीछे की ओर धकेलें, यानी बॉडी को सीधा करें।
  •    - अपनी कमर को थोड़ा इंधने और पीठ को थोड़ा घुमाएं।
  •    - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।

    

    3. पदहस्तासन (Padahastasana):

  •    - श्वास को बाहर करते हुए अपने शरीर को आगे की ओर मोड़ें।
  •    - अपने सिर को अपने घुटनों की ओर ले जाएं।
  •    - कोशिश करें कि अपने हाथों को अपने पैरों के पास ले जाएं या जहां तक आप जा सकें।

    

    4. आश्वसंचालनासन (Ashwasanchalanasana):

  •    - एक पैर को आगे की ओर बढ़ाएं और उसे बाहर ले जाएं।
  •    - अपनी दूसरी टांग को घुटने पर रखें और अंतिम बाहु पर अपने हाथों को रखें।
  •    - आपका शरीर एक सीधी रेखा पर होना चाहिए, जैसे जब आप एक चढ़ाई को छूते हैं।
  •    - इस स्थिति में कुछ समय रहें और सांस छोड़ें।

   

     5. पर्वतासन (Parvatasana):

  •    - अपने पैरों को पीछे की ओर बढ़ाएं और उन्हें सीधा करें।
  •    - अपने हाथों को भी पीछे की ओर बढ़ाएं और उन्हें फ्लूअर पर रखें।
  •    - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।

    

    6. आष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara):

  •    - अपने शरीर को नीचे ले जाएं और चौथे नमस्कार मुद्रा को धारण करें।
  •    - अपने चार आंगुलियों और आधा सींग की ओर बढ़ाएं।
  •    - अपने पैरों को और फिर से पीछे की ओर बढ़ाएं और उन्हें सीधा करें।
  •    - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।


    7. भुजँगासन (Bhujangasana):

  •    - अपने शरीर को ऊपर उठाएं और अपने हाथों को तलवार की तरह फ्लूअर पर रखें।
  •    - अपनी पीठ को पीछे बढ़ाएं और अपने नेत्रों को ऊपर उठाएं।
  •    - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।

    

    8. पर्वतासन (Parvatasana):

  •    - अपने पैरों को पीछे की ओर बढ़ाएं और उन्हें सीधा करें।
  •    - अपने हाथों को भी पीछे की ओर बढ़ाएं और उन्हें फ्लूअर पर रखें।
  •    - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।

    

    9. आश्वसंचालनासन (Ashwasanchalanasana):

  •    - दूसरे पैर को आगे बढ़ाएं और उसे बाहर ले जाएं।
  •    - अपनी दूसरी टांग को घुटने पर रखें और अंतिम बाहु पर अपने हाथों को रखें।
  •    - यह स्थिति कुछ समय रहें और सांस छोड़ें।


    10. पदहस्तासन (Padahastasana):

  •     - श्वास को बाहर करते हुए अपने शरीर को आगे की ओर मोड़ें।
  •     - अपने सिर को अपने घुटनों की ओर ले जाएं।
  •     - कोशिश करें कि अपने हाथों को अपने पैरों के पास ले जाएं या जहां तक आप जा सकें।

   

     11. हस्तोत्तानासन (Hastottanasana):

  •     - अपने हाथों को उठाएं और पीछे की ओर धकेलें, यानी बॉडी को सीधा करें।
  •     - अपनी कमर को थोड़ा इंधने और पीठ को थोड़ा घुमाएं।
  •     - यह स्थिति कुछ समय तक बनाए रखें और सांस छोड़ें।

   

     12. प्रणामासन (Pranamasana):

  •     - अपने पैरों को एक साथ जोड़ें।
  •     - अपनी आंखें बंद करें और सांस लें।
  •     - दिल की ओर ध्यान केंद्रित करें और शांति के साथ सांस छोड़ें।


सूर्य नमस्कार के लाभ:


सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास कई शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान कर सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण लाभ हैं:

   

     1. शारीरिक लाभ:

  •    - सूर्य नमस्कार शारीरिक संतुलन को सुधारता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
  •    - इसके अभ्यास से हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ाया जा सकता है और रक्त संचार को सुधारा जा सकता है।
  •    - इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर में उच्च रक्तचाप की समस्या को कम किया जा सकता है।


    2. मानसिक लाभ:

  •    - सूर्य नमस्कार एक मानसिक स्थिरता और शांति का स्रोत होता है।
  •    - इसका अभ्यास स्ट्रेस को कम करता है और मानसिक तनाव से निजात प्रदान करता है।
  •    - यह मेंटल क्लैरिटी और कॉन्सेंट्रेशन को बढ़ाता है और मन को शांत और उद्यमी बनाता है।



सूर्य नमस्कार की सावधानियां:


यदि आप सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने की सोच रहे हैं, तो निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखें:


    1. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं:

  •    - यदि आपके पास किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
  •    - गर्भावस्था, अपरिपक्वता, सीना में दर्द, बांह या कंधे के चोट आदि की स्थिति में सूर्य नमस्कार का अभ्यास न करें।

   

     2. सही पोषण:

  •    - सूर्य नमस्कार के लिए शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए इसके पूर्व और बाद में सही भोजन करें।
  •    - योगासनों के अभ्यास के लिए हाइड्रेटेड रहें और पर्याप्त पानी पिएं।

   

     3. सही तरीके से करें:

  •    - सूर्य नमस्कार के दौरान सही ढंग से संपूर्ण आसनों को करने का प्रयास करें।
  •    - अगर आप शुरुआती हैं, तो एक योग गुरु के मार्गदर्शन में संपूर्ण आसनों का अभ्यास करें।
  •    - अभ्यास के दौरान सही स्थिति, सांस लेने और छोड़ने की तकनीकों पर ध्यान दें।

   

     4. दर्द या आरामहीनता की सूचना:

  •    - अगर आपको सूर्य नमस्कार करने के दौरान किसी भी प्रकार का दर्द या आरामहीनता महसूस होती है, तो तुरंत बंद करें।
  •    - अपने शरीर की सुनें और योग करने के दौरान अपनी सीमाओं को समझें।

   

     5. ध्यान और सावधानी:

  •    - सूर्य नमस्कार के दौरान मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
  •    - अभ्यास के दौरान अपनी सांस को नियंत्रित करें और स्थिर रहें।
  •    - अपने शरीर की सुनें और अत्यधिक तनाव या दर्द की स्थिति में बंद करें।


सूर्य नमस्कार एक प्राकृतिक योगाभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान कर सकता है। इसे नियमित रूप से अभ्यास करके आप अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं। ध्यान और संयम से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें और इसे अपने योग साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं।


ध्यान देने वाले योगियों के लिए, सूर्य नमस्कार एक आदर्श तरीका है जिससे आप अपनी योग साधना को नई ऊंचाईयों तक ले जा सकते हैं। इसे नियमित रूप से अभ्यास करें, स्थिर रहें और अपनी गहरी सांसों के साथ सूर्य नमस्कार का आनंद लें।

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